शब्दार्थ


 अंगराग= उबटन
 अंत्यज= अंतिम वर्ण में उत्पन्न  
 अंध-वीथियों =अंधी गलियाँ 
 अंशुमाल= सूर्य
 अक्षीण= हृष्ट-पुष्ट
 अगम्य = जहां पहुँच न हो सके
 अगम्य=जहां पहुँच न हो सके
 अगेय= जिसे गाया न जा सके
 अघोक्षजम्* =
 अजस्र =सदा
 अतूर्त=  अपूर्व, उत्तम शत्रुओं से पराजित न होने वाला
 अत्युर्मियों*= पीड़ा
 अदुर्दमनीय= जिसको वश मेँ न किया जा सके
 अधिमानस= व्यक्तिगत ज्ञान
 अधिरोहित= उल्लंघित होना
 अनपायनी= स्थिर, ढृढ़
 अनुक्त= उपलक्षित, समझा हुआ
 अनुदरा= अल्प उपाय, पतली कमर
 अनुनमेय= अप्रत्याशित
 अनुरणित= झंकृत, ध्वनित
 अनुरथ्या= पटरी, सड़क का किनारा
 अनुस्यूत= समाविष्ट, अंकित
 अन्तस= हृदय
 अपरिमेय= विवरेकरहिर, तर्करहित
 अपांज्योति= आत्मज्ञान ज्योति
 अपान= आत्म तत्व
 अप्रछन्न= प्रकट, अनावृत
 अप्रतिम=अनुपम
 अप्रतिहत= अपराजित, अनुसरण
 अभंग =अखंड
 अभिज्ञान= स्मृति, पहचान
 अभिप्रेत = इष्ट, स्वीकृत
 अभिसिप्त= अभीष्ट, वांछित
 अभूत= वर्तमान,अपूर्व
 अभेध =जिसका भेदन न हो सके
 अमंद= श्रेष्ठ
 अमृतेय=
 अमोच= बिना मृत्यु के, मृत्युविहीन
 अम्बुध= समुद्र
 अम्लान= प्रसन्न
 अयन= गति, मार्ग
 अराल= कुटिल, टेढ़ा, मस्त हाथी
 अर्गत= अंतर्गत करना
 अर्गला= अवरोधक
 अर्ण= जल
 अर्विभूत= उदय
 अर्हत= पूज्य
 अलक्तक= महावर, लाह का बना हुआ रंग
 अलिंद= कक्ष
 अवकाश= आकाश
 अवडीन =खोया हुआ
 अवतंस =सवोत्तम
 अवसन्न= निष्काषित, मृत, आलसी
 अविच्छिन्न = सतत
 अविछिन्न= सतत
 अविध= अवधि
 अव्यय= विकार रहित, आदि-अंत-रहित
 अव्यलोक= सत्या, सहमत होने योग्य
 अव्याहत= सत्य, बेरोक, अखंडनीय वक्तव्य
 अव्हान =आमंत्रण
 अशन= आहार, भोजन की क्रिया
 अशनि= अग्नि, वज्र
 अष्ठांगिक= बुद्ध की प्रमुख शिक्षाओं में से एक
 अहिर्निशी= हर समय
 आकर्णमूल= विशाल
 आकिंचायतन= आकिंचन का भाव
आकिंचन = इंद्रिय दमन
 आकुंचन= संकोच, सिकुडना
 आगर= समूह, दुकान
 आघान = समावेश
 आत्मपरक=अपने से संबन्धित
 आन्तर-चैत्य= हृदय विहार
 आप्तकाम= जिसकी सभी कामनाएँ पूर्ण हों
 आमूल =सम्पूर्ण
 आर्य= श्रेष्ठ
 आवुस= प्रिय
 आसन्न= निकट आया हुआ
 आसव= पुष्परस
 इंदु= चाँद
 इन्दीवर= नीलकमल
 ईशत= बेहतर
 ईषिका= हाथी, आँख, बाण
 उच्चाटन= विराग, उदासीनता
 उच्छलित= तरंगित
 उच्छिष्ट= जूठा, बचा हुआ भोजन 
 उत्क्षिप्त =दृष्टिगोचर
 उदुम्बर= गूलर फल
 उद्दांत= दमित, विनम्र
युद्दयागा
 उद्भावक= जन्मदाता, कल्पना करने वाला
 उद्वीन्ता= उद्विग्नता
 उन्मन= अनमयस्क
 उन्मीलन= आँख आदि का खुलना, विकसित होना
 उपवाण= बौद्ध भिक्षु
 उपशम= निवृत्ति, शांति
 उपसंग= सामीप्य
 उर्वी= पृथ्वी
 उशीर = खस
 उष्णीण= पगड़ी, साफा
 ऊर्जस्वित= कान्तियुक्त, शक्तिशाली
 एषणाओं =अभिलाषाएं
 औद्वित्य=
 कंथा= योगियों का परिधान
 कच = केश
 कपिल= महादेव, सूर्य, अग्नि
 कम्बुकंठ= शंख की माला
 कराल= भयानक
 करिवर= श्रेष्ठ हाथी
 करेणु=  हाथी
 कलभ= हाथी, गज
 कलभोरू=
 कल्प= विधान, विधि
 काम्राग= कमान्ध
 किंकिणियों= घुंघरू
 किंजल्क= मनोहर
 किंशुक= टेसू
 किरातन= एक प्राचीन जंगली जाति
 किसलय= नया पत्ता
 कुक्ष=पेट,गर्भ
 कुसुमायुध= कामदेव
 कुहेलिका= गोधूली
 कूटस्थ= अटल, अचल, अविनाशी
 केयूर= बाजूबंद
 क्रोड़ =गोद
 क्वणित= झंकृत
 क्षपा=  रात, हल्दी
 खद्योत = जुगन
 खर्व= अपूर्ण, न्यूनांग, अंग-भंग
 गयंद= बड़ा हाथी
 गुम्फित= जाल
 गुल्म = पौधा
 घृति= साहस, मनोबल, स्थिरता
 चंगेरी= तिनपतिया पौधा
 चक्रमण= टहलना, घूमना, सैर करना
 चैत्य-द्वार= मठ-घर-मंदिर का द्वार
 जनाकीर्ण= अत्यधिक घनी आबादी वाला
 जलजात= कमल
 जुगुप्सा= घृणा,अश्रद्धा, निंदा
 तंतुवय= रेशम के तागे जैसी अवस्था
 तड़ाग=तालाब
 तथागत= गौतम बुद्ध, प्रबुद्ध
 तमावृत= अंधकार से घिरा
 तुंड= सूंढ़
 तुरीयावस्था= श्रेष्ठ अवस्था, ब्रह्मलीन
 तुषार= पाला, बर्फ
 तुहिन =कोहरा
 तुहिनाश्रु= आँसू
 त्रिणाचिकेत= नारायण, अग्नि
 त्रिपर्व = तीन पर्वों का संयोग
 त्रिसंस्थ= काशी, गया, प्रयाग
 त्रिसरेंणु= धूल-किरण
 दान्त= क्रूर
 दिग्भ्रांत =दिशाहीन
 दुकूल= उत्तरीय
 दुरुभिसंधि= मिलीभगत
 दुर्दैव= दुर्भाग्य
 दुर्निवार= जिसे टालना मुश्किल हो
 दुस्तर= कठिन
 दैन्य= दीनता, कातरता
 द्दुती=
 द्रुम= पारिजात
 धुतांग= बुद्ध के 13 परिशुद्ध शील
 ध्वांत= अंधकार
 नखताश्म= चंद्रमा
 निःस्वन= शब्द, ध्वनि
 निकर= समूह, कोष
 निचय=निश्चय, समूह
 निदय= निष्ठुर
 निनादिनी= ध्वनि प्रत्यावर्तन करने वाली
 निभृत= निश्चल, अटल
 निम्मजित=
 निरभ्र= मेघ से रहित आकाश
 निराकार =जिसका कोई आकार न हो
 निराट= निराला
 निरात=
 निराभरण = आभूषणरहित
 निरावृत= जो ढंका न हो
 निर्धूत= निष्काषित
 निर्धूम= धुआं रहित
 निर्निमेष= एकटक
 निर्बन्ध =आजाद
 निर्मन्यु= क्रोध से मुक्त
 निर्मायक= सकारात्मक
 निर्मोक= शरीर की त्वचा, आकाश
 निर्यक= सीधा
 निर्वाक= मौन
 निर्वात= शांत, वायु रहित
 निर्विकार =विकार रहित
 निष्कंप= अचल, कंपनरहित

 निष्कल= सम्पूर्ण, ब्रह्मा, आधार
 निष्णात= कुशल, पारंगत
 निसंग =अकेला
 निसृत= निकला हुआ
 निस्पृह= इच्छारहित
 निस्वन= शब्द, ध्वनि
 निस्सार = सार रहित, छुटकारा
 नीरद= मेघ, जल देने वाला
 नीलराजि= अंधकार
 नीलान्जसा* = नीला सुरमा
 नीवरण= मुक्ति पाना, दूर भागना,
 नीहारिका=धुंधलका प्रकाश पुंज
 नैवसंज्ञानसंज्ञायन=नवीन ज्ञान...
 नैसर्गिक =मनोरम,प्राकृतिक
 पंचयार= पाँच आचार
 पद्मपलाक्ष* = कमाल का फूल या पौधा
 पयस्वनी= सफ़ेद
 पयोदनी*= मेघ, बादल
 परा = अलौकिक
 परात्पर = सर्वश्रेष्ठ, विष्णु
 परुष= कठोर
 पर्यक= आसन,पलंग
 पर्यालोचना= समीक्षा
 पश्यंती= हठयोग, वैश्या
 पाटल= गुलाब संबंधी
 पादप = वृक्ष, पीढा
 पारद= पारा 
 पीत= पीला
 पुद्गल= शरीर, आत्मा, शिव, सुंदर
 पुष्करणी= छोटा तालाब
 पृथुल= विशाल, विस्तीर्ण, मोटा
 प्रकर्ष= विस्तार, विशेषता
 प्रक्वण= वीणा के स्वर
 प्रक्वणित= ध्वनि
 प्रक्वरण= झंकार
 प्रक्षुणित* = प्रश्नकर्ता
 प्रक्षुण्णित= दबाई
 प्रच्छन्न= गुप्त, आच्छादित
 प्रच्छायित=घनी छाया से आवृत
 प्रज्ञा= विवेक
 प्रतिभिसकंदन* = शरीर का बल व नेत्र
 प्रतोद= अंकुश, चाबुक
 प्रत्युद= आदर स्वरूप
 प्रत्युष= प्रभात, प्रातःकाल, सूर्य
 प्रभूत= उत्पन्न, पूर्ण
 प्रवाल= नया कोमल पत्ता, वीणा की लकड़ी
 प्रव्रजित = सन्यासी
 प्रव्रज्या= सन्यास
 प्रसून = फूल, काली, उत्पन्न
 प्रस्फुटित= विकसित
 प्रांजल= सरल, शुद्ध, समतल
 प्राणोंद्रेक= अन्तर्मन
 प्रान्जलता= सरलता
 प्रोरूहित* = मिला हुआ लाल रंग
 बगोलो* = बगुला
 भवितव्य= भावी, होनी, भविषयमभावी 
 भास्वर= प्रकाशित
 भैषज= औषध, दवा
 भ्रमरावली= भौरों का समूह
 मंजीरित* =
 मंत्सर= स्वार्थ
 मंदाकिनी= आकाशगंगा
 मतुमुल= गगनभेदी
 मरकत= पन्ना रत्न
 मरन्द= फूलों का रस
 मराल= पक्षी
 मलयज= चन्दन
 मसृण= कोमल
 महत्वाकाशं= महत्वाकांक्षा
 महाभिनिष्क्रमण= गृह त्याग
 महार्णव= महासमुद्र
 महोर्मि= बड़ी तरंग, बड़ी लहर
 मुच्लिंद= सरोवर
 मृणाल= कमल की जड़, कमलनाल, खस
 मेखला = करधनी, शृंखला, पहाड़ की ढाल
 मौक्तिक= मोती, मुक्ता,
 रंध्र= पत्ती के नीचे के छिद्र
 रज्जु= रस्सी, लगाम
 रथांग= रथ का पहिया
 राजमराल= हंस
 ललाम= रमणीय, लाल
 लह्वी= एक प्रकार की चिड़िया
 लौहित्य= लालिमा
 वंचक= धूर्त
 वन्ध्या= बांझ
 वपु= शरीर
 वरद= वर देने वाला
 वरेण्य= श्रेष्ठ
 वर्त्तुल = गोलाकार
 वहि्ल= अग्नि
 वारि= जल
 वारिज = कमल, शंख
 वारिधि = समुद
 वारिश= विष्णु
 वार्शिला* = पत्थर का दरवाजा
 विकच=विकसित
 विग्रह= विवाद
 विचक्षण= निपुर्ण
 विचिकित्ण* =
 विचुम्बित =स्पर्श किया हुआ
 विछिप्त= पागल
 विजन= निर्जन वन
 विज्ञ= विद्वान
 विडंबित= विडम्बना की गई
 विन्यास= व्यवस्थित करना, अर्पण करना
 विपन= व्यापार
 विपर्यय= अव्यवस्था
 विभावरी= रात
 विमुन्चित= छुड़ना, बाहर करना
 विरल= दुर्लभ, अल्प
 विवृत्त= घूमता हुआ, चलता हुआ
 विशिख=बाण
 विशीर्णित= बिखरती
 विशोकी= शोकमुक्त
 विषण्ण= दुखी
 विहान= प्रातःकाल
 वृत्त-वीचि= गोलाकार दीप्ति
 वृत्तियों =आचरण
 वैदूर्य= लहसुनिया रत्न
 वैशिष्ठ= मिला हुआ
 वैशिष्ठ्य= विशिष्टता
 वैषभ्य= विषमता, असमानता
 व्यतिक्रमण= विघ्न
 व्यापाद= बुराई सोचना
 व्याल= साँप, दुष्ट हाथी
 व्यालोलित* = उगते सूर्य की लालिमा से लाल हुआ आकाश
 व्योम= आकाश, अन्तरिक्ष
 व्योलोलित* =  आकाश, जल, बादल
 शतग्रंथिका* = सौ गांठ
 शतहदा= मर्यादा, सीमा निर्धारित करना
 शलभ= पतंगा, भौरा
 शातोदर= पतली कमर वाला
 शाश्वत =नित्य, स्थायी
 शिंजनी= नूपुर, घुंघरू
 शितिकण्ठ= सफ़ेद कंठ वाले शिव
 शुक्ति= सीप
 शुभ्र=श्वेत
 श्येन= बाज, हिंसा
 श्रमण= बौद्ध भिक्षु
 श्लक्षण= कोमल, मनोहर
 श्लथ=  शिथिल
 संतरण = तैरना, इतराना
 संभूत= उत्पन्न, युक्त
 संसृति=आवागमन, संसार
 सत्वर= शीघ्र
 सद्दःस्नात* = स्नान से प्रसन्न
 सन्धुक्षित= प्रज्वलित किया हुआ
 सन्निवेश= स्थित होना, समूह
 समादृत=सम्मानित
 समिधा= हवन की लकड़ी
 सम्पुट= दोना, कटोरा
 सम्बुद्ध= जागृत, ज्ञानी
 सम्मिहिनी* =
 सम्यक= समुदाय, समस्त, अच्छी तरह
 ससीम= सीमित
 सस्रार* =
 सहस्रदल= सहस्त्र पंखुड़ियों वाला, कमल
 सहस्रार= हज़ार दलों वाला कल्पित कमल
 सुतनुश्री= सुंदर, सुडौल
 सुरधनु= इंद्रधनुष
 सूपकार= रसोइया
 सैन्धव= सिंधु निवासी
 सोपालम्भ=  निंदनीय
 सोमनस= सोमनस वन या पर्वत
सौमनस = पुष्प संबंधी, मनोहर, पर्वत का नाम
 सौख्य= सुख
 सौच्छ्वसित =स्वतः स्वांस क्रिया
 स्क्त्ध* =
 स्तवक= स्तुति करने वाला
 स्थितप्रज्ञ= स्थिर बुद्धि वाला
 स्नाकल्पित* =
 स्नात = नहाया हुआ
 स्पृहा=इच्छा
 स्फटिक= बिल्लोर, सूर्यकान्तमणि
 स्यंदन= रथ, घोड़ा
स्वर्गंगा = स्वर्ग की गंगा, मन्दाकिनी
 स्रूवा* =
 स्वछन्द =मुक्त
 स्वप्रावस्थित =
 हयग्रीव= विष्णु का एक अवतार
 हर्म्य= प्रासाद, महल
 हिरण्यगर्भ= सूक्ष्म शरीर, प्राणत्मा
अनुत्तरित= जिसका उत्तर न दिया गया हो



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